अल्मोड़ा हिल स्टेशन: हिमालय का आभूषण

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उत्तराखण्ड के ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” को धरती का श्रंगार कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। वस्तुत: देखा जाये तो ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” हिमालय का कुमकुम है। समुद्र तल से करीब 1682 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन देश-विदेश के पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहता है। कारण ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” में प्रकृति के सौन्दर्य का वास्तविक बोध होता है। ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” की घाटियों में एक जीवंतता एवं प्रेरक प्रेरणा की अनुभूति होती है।

अल्मोड़ा हिल स्टेशन एरिया में बर्फबारी का भरपूर आनन्द मिलता है। हिल स्टेशन एहसास दिलाता है कि जैसे बादलों के संग अठखेलियां कर रहे हों। साथ ही एक रसीला परिवेश का आनन्द मिलता है। उत्तराखण्ड का ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” 16 वीं शताब्दी की अवधि में विकसित किया गया था। प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ मंदिर श्रंखला से अनुगूंजित घंटियों की कर्णप्रिय स्वर लहरियां एवं भजनों का अनुगूंजन मनभावन प्रतीत होता है।

मखमली घास से आच्छादित ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” की घाटियां-वादियां लुभावनी हैं। फूलों की सुगन्ध मन मस्तिष्क को तरोताजा कर देती है। ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” को पर्यटन का जादू कहें तो शायद को अतिश्योक्ति न होगी। लालित्य-माधुर्य एवं सौन्दर्य के आकर्षण में पर्यटक ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” खींचे चले आते हैं। अल्मोडा अपनी खास संस्कृति, वन्यजीवन एवं खानपान के अंदाज के लिए विश्व प्रसिद्ध है। ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” खास तौर से पाइन एवं देवदार के सुन्दर वृक्ष श्रंखला से घिरा हुआ है। अल्मोड़ा का विकास कुमाऊंनी बाशिंदों ने किया।

खास यह कि अल्मोड़ा को मंदिरों के शहर के तौर पर ख्याति हासिल है। ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” एवं अल्मोड़ा शहर का धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं ऐतिहासिक महत्व है। ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” के नीचे कोशी एवं सुवाल नदियां कल-कल प्रवाहमान हैं। ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” में चौतरफा मखमली घास के गलीचे या कालीन के आवरण दिखते हैं। ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” खास तौर से पर्यटकों, प्रकृति प्रेमियों, पर्वतारोहियों एवं पदारोहियों का सर्वाधिक पसंदीदा क्षेत्र है।

‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” एवं उसके आसपास आकर्षक स्थलों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें जागेश्वर मंदिर समूह, कासार देवी का मंदिर, कैटर्मल रवि मंदिर, मंदिर बिंसर महादेव, हिरण पार्क, कलिमुत, बिंसर शून्य प्वाइंट, बिंसार वन्यजीव अभ्यारण, चिताई गोलू देवता मंदिर, गोविन्द बल्लभ पंत संग्रहालय, ब्राइट एण्ड कॉर्नर, कौसानी, कुमाऊं रेजीमेंटल सेंटर संग्रहालय आदि इत्यादि हैं।

जागेश्वर मंदिर समूह: जागेश्वर मंदिर समूह अल्मोड़ा शहर की एक ऐतिहासिक विरासत है। शहर में चन्द्रकालीन किले एवं मंदिर श्रंखला है। ब्रिटिशकालीन चर्च, पिकनिक स्पॉट, मंदिर आदि बहुत कुछ दर्शनीय है।
कासार देवी मंदिर: कासार देवी मंदिर समुद्र तल से करीब 2100 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर हाईकर्स के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय है। कारण इस देव स्थल से आसपास का प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली छटा दिग्दर्शित होती है। पाइन एवं देवदार के सुन्दर वृक्षों से घिरा यह क्षेत्र अद्भुत सुन्दर प्रतीत होता है। विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का कलरव कर्णप्रिय लगता है।

कैटर्मल रवि मंदिर: कैटर्मल रवि मंदिर अल्मोड़ा से करीब 16 किलोमीटर दूर है। कैटर्मल रवि मंदिर सूर्यदेव को समर्पित दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है। विशेषज्ञों की मानें तो इस दिव्य-भव्य मंदिर का निर्माण कैटीरी किंग्स ने कराया था। मंदिर का अनूठा वास्तुशिल्प एवं नक्कासी पर्यटकों-दर्शको मुग्ध कर देती है। यह देव स्थल लघु तीर्थस्थलों से घिरा हुआ है।
मंदिर बिंसर महादेव: मंदिर बिंसर महादेव गंगा तट पर स्थित है। इस स्थान को शिव का स्थान माना जाता है। यह स्थान अल्मोड़ा से करीब 19 किलोमीटर दूर है। अन्य महत्वपूर्ण मंदिरों में नंददेवी मंदिर, गर्ननाथ मंदिर, बैजनाथ मंदिर, कोसी मंदिर, चित्रा मंदिर, कटारमल सन मंदिर, झूला देवी मंदिर, कालीमुत आदि शामिल हैं।

हिरण पार्क: हिरण पार्क अल्मोड़ा से तीन किलोमीटर दूर स्थित है। शांत एवं अति नरम स्थान हिरण पार्क वन्यजीवों की धमाचौकड़ी एवं अठखेलियों से गुलजार रहता है।
ब्राइट एण्ड कार्नर: ब्राइट एण्ड कार्नर सूर्योदय एवं सूर्यास्त देखने का आदर्श स्थान है। इस स्थान से सूर्यास्त एवं सूर्योदय के भव्य-दिव्य दर्शन होते हैं। शक्तिशाली हिमालय के मध्य सूर्योदय एवं सूर्यास्त का अद्भुत दृश्य यहां अवलोकित होता है। इसका नाम ब्राइटन के नाम पर है।

कालीमुत: कालीमुत वस्तुत एक विहंगम पिकनिक स्पॉट है। ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” से करीब तीन किलोमीटर दूर यह स्थान पाइन एवं देवदार के शानदार वृक्ष श्रंखला से घिरा है। कभी यह स्थान हीरा खदान के तौर पर जाना जाता था। यह एक ग्रेनाइट पहाड़ी है। यह इलाका सुरम्य एवं शांत स्थान के तौर पर जाना जाता है।
चिताई गोलू देवता मंदिर: चिताई गोलू मंदिर उत्तराखण्ड का एक प्रमुख मंदिर है। इस देव स्थान को न्याय के देव स्थान के तौर पर मान्यता है। मान्यता है कि इस स्थान पर की गई मनौती निश्चित तौर पर पूर्ण होती है। मनौती के लिए घंटियां समर्पित की जाती हैं।

गोविन्द बल्लभ पंत संग्रहालय: गोविन्द बल्लभ पंत संग्रहालय अल्मोड़ा के माल रोड पर स्थित है। संग्रहालय में प्राचीनकाल की वस्तुओं का संग्रह हैं। उत्तराखण्ड की संस्कृति, सभ्यता, इतिहास आदि की व्यापक जानकारी यहां उपलब्ध है।
बिंसार वन्यजीव अभ्यारण: बिंसार वन्यजीव अभ्यारण अल्मोड़ा से करीब 24 किलोमीटर दूर है। यह स्थान कभी राजाओं की राजधानी के तौर पर था। वर्ष 1988 में इसे वन आरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। वन्यजीव अभ्यारण की समुद्र तल से ऊंचाई करीब दो हजार पांच सौ मीटर है। इसका उच्चतम प्वाइंट जीरो प्वाइंट है। अभ्यारण में दो सौ से अधिक पक्षियों एवं वन्य जीवों की प्रजातियां उपलब्ध हैं।

कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर संग्रहालय: कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर संग्रहालय अल्मोड़ा के माल रोड पर स्थित है। संग्रहालय 1970 में स्थापित किया गया था। संग्रहालय में विश्व युद्ध द्वितीय एवं चीन के साथ युद्ध 1962 के बचे यौद्धिक खजाने एवं हथियारों का संग्रह है।

‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध है। पंतनगर निकटतम हवाई अड्डा है। काठगोदाम ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है। ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” से नैनीताल 67 किलोमीटर, काठगोदाम 90 किलोमीटर,  पिथौरागढ़ 109 किलोमीटर एवं दिल्ली 379 किलोमीटर है। ‘अल्मोड़ा हिल स्टेशन” के लिए हल्द्वानी, काठगोदाम एवं नैनीताल से नियमित बस सेवायें उपलब्ध रहती हैं।