सावधान ! ऐसा भूल कर भी न करें… भोजन ठंडा हो या गर्म किसी भी प्लास्टिक के बर्तन मे रखा जाये तो उसमे प्लास्टिक के रसायनिक तत्व मिलने लगते है, जिसे अन्ग्रेजी मे “लीचिनग” कहते हैं। प्लास्टिक के बर्तन में ही भोजन गर्म करने पर लीचिनग प्रक्रिया 55 प्रतिशत अधिक तेज हो जाती हैं। साथ ही प्लास्टिक के बर्तन मे रखा भोजन फैटी, नमकयुक्त अम्लीय प्रकति का हैं, तो लीचिनग प्रक्रिया को बढ़ा देता हैं।
अमेरिका के स्वास्थ्य के नेशनल टॉकिस्कोलॉजी प्रोग्राम ने एक शोध में पाया कि डिस्पोजिबल प्लास्टिक वस्तुओं में फोर्मीलिड़हाईड़ ओर स्टायरीन मौजूद होता हैं। गर्म करने पर प्लास्टिक कंटेनर से पॉलीकर्बीनेट पॉलीस्टा यरीन ओर पी वी सी जेसे रसायन निकलने लगते हैं। कई शोध से इस बात की पुष्टि हुई है कि भोजन या पानी गर्म होने पर स्टायरीन अधिक तेजी से भोजन में मिलने लगते है।
पोलोथीन ओर प्लास्टिक गांव से लेकर शहर तक लोगों की सेहत बिगाड़ रहा हैं। प्लास्टिक का प्रयोग पर्यावरणीय ओर मानव की सेहत के लिये बहुत खतरनाक है। पारंपरिक बर्तनों की अपेक्षा प्लास्टिक के बर्तन ओर डिब्बे कम कीमत में मिल जाते है, लेकिन उनका उपयोग स्वास्थ्य के लिए उतना ही हानिकारक होता हैं। वही दूसरी तरफ प्लास्टिक या पोलीथिन के आत्याधिक प्रयोग से वातावरण की अपूरणीय क्षति हो रही है। प्लास्टिक में भोज्य सामग्री एकत्रित करना न सिर्फ पर्यावरण में प्लास्टिक की मौजूदगी बढता है, बल्कि आपकी सेहत को भी नुक्सान पहुँचता है।
प्लास्टिक के कप या गिलास मे गरम चाय या ढूध पीने से उसका केमिकल पेट मे चला जाता है, जिससे डायरिया के साथ साथ अन्य बिमारिया हो जाती हैं। देखा जा रहा हैं कि कुछ लोग दुकान से चाय प्लास्टिक की थैलियों मे माँग रहे हैं। गर्म चाय थैलियों मे डलवाने से थैलियों का केमिकल चाय के साथ प्रवेश कर जाता, जो खतरनाक बीमारियों को बुलावा देता हैं।
इसका कारण है प्लास्टिक की बनी पानी की बोतलों में प्रयोग होने वाला एक रसायन Bisphenol A (BPA), जोकि हमारे दैनिक जीवन में इस्तेमाल किए जाने वाली बोतल, धातु युक्त भोजन के डिब्बे और थर्मल रसीद पेपर जैसे उत्पादों में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला रसायन है। शोध में पाया गया कि प्लास्टिक की बोतल के पानी के प्रयोग से बच्चों के शरीर में फैट सैल्स काफी जल्दी बढ़ जाता हैं, जिससे लंबे समय तक वे मोटापे का शिकार रहते।
टैग भी तो सेफ़ नही होता है: प्लास्टिक के बर्तन बनाने वाली कंपनियाँ बर्तनों पर टैग लगाती हैं कि “माइक्रो वेव सेफ़” है, परन्तु ये बर्तन भी सेफ़ नही हैं क्योंकि प्लास्टिक का गुण है कि गर्म करने पर उसके रसायन स्त्रावित होते हैं, जो भोजन की गुणवत्ता मे बदलाव लाते हैं। ठण्ड़े ओर सूखे भोजन प्लास्टिक मे रखे जा सकते परन्तु लम्बे समय तक रखने से बचे। प्लास्टिक का उपयोग स्वास्थ समस्याओ का कारण है। लोग कहते हैं कि “हम ऑर्गेनिक फूड खाते हैं फिर बीमार क्यो? हमने प्लास्टिक नही छोडा। विभिन्न प्रकार के रसायन प्लास्टिक जब खिलौनों की शक्ल में आता है।
विभिन्न प्रकार के रसायन: प्लास्टिक जब खिलौनों की शक्ल में आता है तो और लुभावना लगता है। पर बच्चों को प्लास्टिक के खिलौने देने वाले माँ-बाप को चिकित्सक सावधान कर रहे हैं। खिलौने में जिन रंगों का इस्तेमाल किया जाता है वे बच्चों के लिए बेहद हानिकारक हैं। खिलौने में आर्सेनिक और सीसे का इस्तेमाल होता है, जो कि जहरीले होते हैं। खेलने के दौरान बच्चे इन्हें मुँह में डाल लेते हैं। रंगों में कई ऐसे रसायन मौजूद होते हैं जिनसे कैंसर का खतरा हो सकता है। इनसे भविष्य में प्रजनन में भी परेशानी आ सकती है। फिथेलेट्स एक प्रकार का रसायन हैं जिसका प्रयोग पी वी सी पाईप से लेकर वाटर बॉटल मे होता है, जो हार्मोन असंतुलन के लिये जिम्मेदार है। इसे यूरोपियन यूनियन ने 2005 में प्रतिबंधित कर दिया।
वर्तमान समय में घरेलू उपयोग की वस्तुओं से लकेर छोटे से छोटे खाध्य पदार्थ में प्लास्टिक का प्रयोग होता हैं। इंग्लैंड के धातुविज्ञानी अलेक्जेंडर पार्किस ने कोई डेढ़ सौ साल पहले प्लास्टिक की खोज की थी, तब इसे हाथों-हाथ लिया गया था। आगे चलकर कई दूसरी वैज्ञानिक खोजें इससे जुड़ीं। लेकिन अब यही उपलब्धि अभिशाप बन चली है। सारी दुनिया में प्लास्टिक उत्पादों को नियन्त्रित और प्रतिबन्धित करने की माँग उठ रही है।
सीमा मोहन