एक ही फैसले से पक्ष और विपक्ष को संतुष्ट कर दिया

एक ही फैसले से पक्ष और विपक्ष को संतुष्ट कर दिया वक्फ संशोधन बिल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत ही बैलेंसिंग वक्फ बोर्ड संशोधन कानून पर रोक नहीं, कुछ प्रावधानों को निलंबित किया वक्फ प्रापर्टी की नवैयत का फैसला भी डीएम नहीं, ट्रिब्यूनल ही करेंगे ट्रिब्यूनल के फैसले तक वक्फ प्रॉपर्टी का कब्जा भी नहीं हट सकेगा

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लखनऊ। देश में मजहबी बंटवारे का कारण बन रहे वक्फ संशोधन बिल पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अंतरिम फैसला सुना दिया है। फैसले से दोनों ही पक्ष संतुष्ट दिखाई दे रहे हैं, और यही इस फैसले की खासियत भी है। न्याय शास्त्र का भी सिद्धांत है कि जो फैसला दोनों पक्षों को संतुष्ट करे, वही सही है। इस लिहाज से सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम फैसला काबिले तारीफ है। शीर्ष कोर्ट ने प्रथमदृष्टया इस संशोधित कानून पर रोक लगाने से इनकार करके सरकारी पक्ष को राहत दी है, पर कुछ प्रावधानों को निलंबित कर विपक्ष को भी संतुष्ट करने की कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर कि वक्फ बोर्ड का सीईओ जहां तक संभव हो मुस्लिम होना चाहिए, मुस्लिमों को संतुष्ट किया है। पर इसके जरिए सरकार को भी राहत दे दी है कि इस पर कोई बाध्यता नहीं है। अगर वक्फ प्रॉपर्टी की नवैयत के मामले में डीएम को अधिकार नहीं दिया है तो यह भी अपेक्षा की है कि राज्य सरकारें डीएम की भूमिका पर नियम भी बनाएं। इसके अलावा कोर्ट ने अगर 5 साल के मुस्लिम प्रैक्टिसिंग व्यक्ति को ही वक्फ करने के अधिकार वाले नियम पर रोक लगाई है तो ये भी कहा है कि राज्य सरकारें नियम बनाएं कि प्रैक्टिसिंग मुस्लिम कौन होगा। इसके अलावा कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन के प्रावधानों को बहाल रखा है, लेकिन ये भी कहा है कि पुराने मामले इससे प्रभावित नहीं होंगे। कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट ने थोड़ा-थोड़ा दोनों पक्षों को संतुष्ट करने की कोशिश की है। अभी तक की सूचना के अनुसार दोनों ही पक्ष इस फैसले से मुतमईन दिख रहे हैं।

अपने फैसले में शीर्ष कोर्ट ने वक्फ बाई यूजर के बारे में फैसला लेने के लिए नये कानून में दिए गए डीएम के अधिकार को नकारा है, और वक्फ ट्रिब्यूनल को ही फिलहाल अधिकार दिया है। कोर्ट ने इसके अलावा वक्फ करने के लिए 5 साल के प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होने की व्यवस्था को भी रोक दिया है। और कहा है कि कोई भी व्यक्ति इस समय इस्लाम का अनुयाई है या नहीं, इस पर राज्य सरकारें नियम बनाएं। कोर्ट ने यह भी अपेक्षा की है कि जहां तक संभव हो वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष मुसलमान ही हो, लेकिन इस पर कोई बाध्यता नहीं लगाई है। इसी के साथ केंद्रीय बोर्ड में अधिकतम चार और राज्यों के बोर्ड में अधिकतम तीन गैर मुस्लिम सदस्य रखने की भी छूट दे दी है। नए संशोधन में यह संख्या 5 रखी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी व्यवस्था की है कि ट्रिब्यूनल का फैसला आने तक वक्फ प्रॉपर्टी का कब्जा ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। इसके अलावा आगे सुनवाई जारी रहेगी और जल्द ही नई पीठ का गठन होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार दिनांक 15 सितंबर 2025 को वक्फ संशोधन कानून पर फौरी फैसला सुनाते हुए दोनों पक्षों को संतुष्ट करने की कोशिश की है। कोर्ट ने कानून के कुछ प्रावधानों पर फिलहाल रोक लगा दी है, जैसे वक्फ करने के लिए 5 साल का प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होना जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से अपेक्षा की है कि इस पर नियम बनाएं। कलेक्टर के पावर वाले विवाद पर भी राज्यों को नियम बनाने के लिए कहा है। फिलहाल वक्फ विवाद निपटान भी वक्फ ट्रिव्यूनल करेंगे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राहत देते हुए अपेक्षा भर की है कि जहां तक संभव हो बोर्ड का सीईओ मुस्लिम ही हो, लेकिन इस पर कोई बाध्यता नहीं लगाई है। इसी के साथ कोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय वक्फ बोर्ड में अधिकतम चार और राज्यों के बोर्ड में अधिकतम तीन गैर मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं। नये कानून में यह संख्या पांच तय की गई है। यहां भी शीर्ष कोर्ट ने बैलेंस बनाने की कोशिश की है।

कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने इस अंतरिम फैसले पर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सुकून भरा है। इससे लोगों को राहत मिलेगी। उन्होंने आगे यह भी कहा कि अभी हमारी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। यानी उन्होंने ने जता दिया कि ये विवाद इतनी जल्दी शांत होने वाला नहीं है। उधर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा है कि कोर्ट ने अपने फैसले के जरिए मोदी सरकार की मंशा पर मोहर लगाई है, क्योंकि कोर्ट ने कानून पर रोक नहीं लगाई है। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने भी कोर्ट के फैसले की ताईद की है, और कहा कि इससे वक्फ की संपत्तियों के बेजा इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सकेगी। इस्लामिक स्कॉलर फाजिल अहमद ने कहा है कि अब मुसलमानों के हितों की रक्षा हो सकेगी और सरकार के गैर वाजिब अधिकारों पर रोक लगेगी।

कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून पर रोक न लगाकर यह सुनिश्चित कर दिया है कि अब वक्फ से जुड़े मामले इसी कानून से गुजर कर आगे बढ़ेंगे। शीर्ष कोर्ट ने फैसला सुनाते समय एक बडी बात यह भी कही है कि संवैधानिक प्रक्रिया से गुजरे किसी भी कानून पर रोक लगाना संभव नहीं है। इसलिए हम इस संशोधन कानून पर रोक नहीं लगा सकते, पर अंतिम फैसले तक कुछ प्रावधानों को निलंबित किया जा रहा है। कोर्ट ने वक्फ प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान बरकरार रखा है। और कहा है कि डीएम वक्फ प्रॉपर्टी के विवाद का अंतिम फैसला नहीं करेंगे, यह काम वक्फ ट्रिव्यूनल ही करेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जब तक वक्फ ट्रिव्यूनल का फैसला नहीं आ जाता, तब तक प्रॉपर्टी का कब्जा ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा।

सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश की प्रमुख बातें
* वक्फ संशोधन बिल अब अंतरिम आदेशों के अधीन प्रभावी माना जाएगा
* यथासंभव बोर्ड का सीईओ मुस्लिम ही होगा
* बक्फ बोर्ड में अब पांच नहीं सिर्फ चार/तीन सदस्य ही गैर मुस्लिम होंगे
* वक्फ के विवादों का फैसला डीएम नहीं ट्रिब्यूनल और न्याय पालिका करेंगे
* वक्फ प्रॉपर्टियों के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान जारी रहेगा
* 5 साल प्रैक्टिसिंग मुस्लिम वाले प्रावधान पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक