लखनऊ। संभल की शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद मामले में सोमवार इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आ गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की रिवीजन पिटीशन खारिज कर दी है। इससे मस्जिद इंतजामिया कमेटी को बड़ा झटका लगा है। अब हाईकोर्ट के फैसले से सर्वे का रास्ता साफ हो गया है। मस्जिद कमेटी ने 19 नवंबर 2024 को सिविल कोर्ट द्वारा दिए गए सर्वे के आदेश को चुनौती दी थी।
सोमवार 18 मई 2025 के अपने फैसले में मस्जिद कमेटी की ओर से दाखिल की गई रिवीजन याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इस प्रकार हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद एक बार फिर संभल सुर्खियों में आ गया है। इस मामले में मस्जिद कमेटी द्वारा दाखिल सिविल रिवीजन याचिका में मस्जिद कमेटी ने हिंदू पक्ष के मुकदमें की पोषणीयता को चुनौती दी थी। इसी मुकदमे के तहत कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था। और उसी सर्वे के दौरान बीते 24 नवंबर 2024 को हिंसा हुई थी। खैर, हाईकोर्ट ने फौरी तौर पर मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वे पर रोक लगा दी थी। अब इस मामले में हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को झटका देते हुए सर्वे की कार्रवाई को हरी झंडी दे दी है। हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सिविल रिवीजन याचिका को खारिज कर दिया है। हिंदू पक्ष ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि फैसला नियमानुसार हुआ है, और हाईकोर्ट ने बिल्कुल सही निर्णय लिया है।
मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत का सर्वे का आदेश न्यायसंगत माना है और कहा कि निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने का कोई कारण नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में संभल के सिविल जज (सीनियर डिविजन) द्वारा जो सर्वे का आदेश दिया गया था, वह पूरी तरह कानूनी और उचित था। अब इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि सर्वे का आदेश न्यायसंगत था और अब मामले की गंभीरता और पृष्ठभूमि को और स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता श्रीगोपाल शर्मा ने कहा कि अगर मुस्लिम पक्ष इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाता है तो सुप्रीम कोर्ट में भी मजबूती से पक्ष रखा जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम पक्ष जानबूझकर मुकदमे को लटकाना चाहता है, क्योंकि अभी तक उन्होंने अदालत में अपना कोई जवाब दाखिल नहीं किया है।
उधर मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील शकील अहमद वारसी ने हाईकोर्ट के आदेश को न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि अदालत ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर ही यह निर्णय लिया होगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय शाही जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी पर निर्भर करेगा। यदि कमेटी सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला करती है, तो वे कानूनी प्रक्रिया के तहत वहां भी अपील करेंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से मामले में नया मोड़ आ गया या है। यह मामला पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। सभी की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या अगला कदम सुप्रीम कोर्ट की ओर बढ़ेगा। फैसले बाद फिर हिंदू और मुस्लिम पक्ष एक बार फिर आमने-सामने आ सकते हैं।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक