तो…अब सब ठीक-ठाक है यूपी भाजपा में

तो...अब सब ठीक-ठाक है यूपी भाजपा में * सब ने मान लिया कि योगी ही हैं यूपी के बास, विवाद खत्म * केशव मौर्य, बृजेश पाठक को फिर मिले 25-25 जिले * अन्य मंत्रियों को भी बनाया गया दो-दो जिलों का प्रभारी * अब प्रदेश के सभी मंत्री जुटे अखिलेश पर हयला करने में

0
35

लखनऊ। केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सालाना समन्वय बैठक में सीएम योगी को हरी झंडी मिलने के बाद अब यूपी भाजपा में सब ठीक-ठाक दिख रहा है। सभी नेताओं ने योगी को अपना बास मान भी लिया है। मुख्यमंत्री ने भी बड़ा दिल दिखाते हुए अपने दोनों डिप्टी सीएम को उनकी खोई प्रतिष्ठा वापस लौटा कर पॉजिटिव संकेत देने की कोशिश की है। योगी ने उन्हें फिर से अपने बराबर जिलों का आवंटन कर यह बता दिया है कि वे भी महत्वपूर्ण हैं। और अब कोई विवाद नहीं है। सूबे के सभी 75 जिलों का आवंटन फिर हुआ है। योगी और केशव ऊमौर्य व बृजेश पाठक में बराबर-बराबर जिलों को बांटा है। तय किया गया है कि चार महीने के बाद जिलों का आवंटन फिर किया जाएगा। इसके बाद अब सीएम योगी का मंत्रिपरिषद एक साथ अखिलेश यादव पर हमले करने में जुट गया है। विशेषकर सुल्तानपुर में मंगेश यादव के एनकाउंटर को लेकर।

पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केरल बैठक में काफी चर्चा और मंथन के बाद योगी के हिंदुत्व मॉडल को सही ठहराते हुए ये तय किया गया कि फिलहाल योगी ही यूपी के बास रहेंगे। और उन्हीं के चेहरे पर आगामी विधानसभा उपचुनाव लड़े जाएंगे और यथासंभव 2027 के विधानसभा चुनाव भी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश की भाजपाई राजनीति में पावर गेम का विवाद खत्म होने के संकेत हैं। संघ के हस्तक्षेप के बाद सभी पक्ष युद्ध विराम को सहमत हो गए हैं और एक टीम के रूप में काम करने को तैयार भी। इसी के तहत मुख्यमंत्री योगी ने भी सारे झगड़े-टंटे भुलाकर टीम के रूप में काम करने का फैसला किया है। इसके बाद से मुख्यमंत्री योगी पूरे जोश में हैं। उन्होंने अपने मंत्रि परिषद कै साथियों के साथ बैठक की और नए सिरे से प्रदेश के जिलों का कामकाज के लिहाज से आवंटन किया है। पूर्व की भांति मुख्यमंत्री ने 25 जिले अपने पास रखे हैं। और 25-25 जिले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक को दिए हैं। इसके अलावा योगी ने अन्य मंत्रियों को दो-दो जिलों का प्रभारी बनाया है। उनके साथ राज्य मंत्रियों को भी लगाया गया है ताकि विकास कार्यों की ठीक से समीक्षा हो सके। तय किया गया है कि एक निश्चित अंतराल यानी 4 महीने बाद इन जिलों का आवंटन फिर किया जाएगा ताकि किसी के काम में सुस्ती न आने पाए। हर मंत्री 4 महीने के बाद अपने कामकाज का लेखा-जोखा भी प्रस्तुत करेंगे।

कार्यों के आवंटन के बाद योगी आदित्यनाथ, उनके दोनों डिप्टी सीएम और प्रदेश के सभी मंत्री और राज्य मंत्री अपने-अपने जिलों में सक्रिय हो गए हैं। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव पर योगी के मंत्री परिषद के हमले तेज हो गए हैं। जो मंत्री जहां है, जैसे भी है, उसके निशाने पर इस समय समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव हैं। इस मामले में खास बात यह है कि पिछड़े वर्ग की राजनीति और तरफदारी करने वाले अखिलेश यादव के खिलाफ भाजपा ने भी अपने पिछड़े वर्ग से जुड़े मंत्रियों और नेताओं को लगाया है। ये सभी मंत्री अखिलेश यादव को अपराधी और पिछड़े वर्ग में अंतर करना बता रहे हैं। और इस काम में उनकी अनुज वधू अपर्णा यादव भी शामिल हैं।

अखिलेश पर सियासी हमला करते हुए उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री संजय निषाद, दारा सिंह चौहान व ओपी राजभर ने उन्हें आइना दिखाया है। इन सबका आरोप है कि सुल्तानपुर के मंगेश यादव एनकाउंटर केस में अखिलेश यादव और विपक्ष के अन्य लोग उल्टा-पुल्टा बयान दे रहे हैं। इस प्रकरण पर उनके बयान को लेकर मंत्रियों ने कहा है कि अपराधी की कोई जाति नहीं होती है। सुल्तानपुर के सर्राफा एसोसिएशन ने भी‌ डकैती के खुलासे पर उत्तर प्रदेश पुलिस की तारीफ की है। इन नेताओं ने पूछा है कि अब इस खुलासे के बाद अखिलेश यादव बताएं कि मंगेश यादव अपराधी था की नहीं। सवाल पूछा गया है कि वे किसी अपराधी की तरफदारी काे लेकर भला कैसे प्रेस कांफ्रेंस कर सकते हैं। उनका दावा है कि जबसे प्रदेश में भाजपा सरकार बनी है, अपराधियों के हौसले पस्त हुए हैं। इस मामले में सपा समेत अन्य विपक्षी पार्टियों के लोग डकैतों के संरक्षण का काम कर रहे हैं। एनकाउंटर की इस कार्रवाई को बेवजह जाति का रंग देने की कोशिश अखिलेश यादव कर रहे हैं। आरोप है कि सुल्तानपुर की घटना हो या प्रदेश की अन्य कोई घटना, समाजवादी पार्टी हमेशा अपराधियों के समर्थन में रही है। जिसके यहां डकैती हुई उस ज्वेलर्स के समर्थन में सपा मुखिया की तरफ से एक भी शब्द नहीं निकले। जिस बेटी के साथ रेप हुआ है, सपा उसकी बजाय अपराधियों के साथ खड़ी नजर आयी। सपा अब जाति के आधार पर अपराधी के समर्थन में जुट गई है। मंत्रियों का कहना है कि हमारी सरकार का मानना है कि अपराधी अपराधी होता है। सपा राज के बदायूं और मथुरा के जवाहर बाग कांड को कौन भूल सकता है। इसमें पुलिस अधिकारी वीरगति को प्राप्त हुए थे। सपा को इसका जवाब देना चाहिए।

इस विषय पर कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा कि सुल्तानपुर एनकाउंटर पर विपक्ष के लोग उल्टा-पुल्टा बयान दे रहे हैं। इनकी सरकार में अखिलेश निषाद को मार दिया गया था। अयोध्या में गोली चलाने वाले अयोध्या के विकास कार्यों को क्या जानेंगे। आज उत्तर प्रदेश विकास की राजधानी है। उधर कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी कहा है कि योगी सरकार जाति के आधार पर काम नहीं करती है। मैं पुलिस को बधाई देता हूं कि इस डकैती का निष्पक्ष तरीके से अनावरण किया है। आज प्रदेश के लॉ एंड आर्डर को लेकर हर जगह सराहना हो रही है। लोस चुनाव में झूठ बोलकर अखिलेश यादव जीत चुके हैं, लेकिन काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है।

इस विषय में मंत्री ओपी राजभर ने कहा कि मंगेश क्योंकि यादव है इसलिए अखिलेश यादव मंगेश के परिवार से मिलकर ये संदेश देना चाहते हैं कि यादव उनके साथ रहे हैं, उनके साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि अब तक 67 मुस्लिम मारे गए तो अखिलेश नहीं बोले। उन्होंने कभी किसी मुस्लिम के परिवार को बुलाकर लखनऊ में मुलाकात नहीं की। सूबे में एनकाउंटर में 20 ब्राह्मण, 18 राजपूत, 24 पिछड़े और दलित मारे गए। अखिलेश किस परिवार को बुलाकर मिले। क्या ये जातिवाद नहीं है। राजभर ने कहा कि सर्राफा एसोसिएशन ने डकैती के खुलासे पर पुलिस की तारीफ है। उन्होंने पूछा है कि जब कार्रवाई में पुलिस वाले भी शहीद हो जाते हैं तब अखिलेश क्यों कुछ नहीं बोलते हैं। उन्होंने पूछा है कि सिपाही शैलेष राजभर को गोली किसने मारी, इसका जवाब भी मिलना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा कांग्रेस के अलगाववाद की नीउपल पर चल रही है।

प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने मायावती से सम्बंध टूटने को लेकर उठे विवाद पर कहा है कि अखिलेश यादव अपने चाचा और परिवार से समन्वय स्थापित नहीं कर तो मायावती से क्या करेंगे। अगर मायावती फोन न उठाने का आरोप लगा रही हैं तो वह ग़लत नहीं होगा, ऐसा मेरा मानना है। इस प्रकार प्रदेश सरकार के मंत्रियों के हमले अखिलेश यादव पर लगातार जारी हैं। विशेषकर सुल्तानपुर में डकैती और एनकाउंटर मामले में जाति को लेकर सवाल उठाने पर सत्ता पक्ष लगातार हमलावर है। यहां तक कि प्रदेश महिला आयोग की नव नियुक्त उपाध्यक्ष और अखिलेश यादव की अनुज वधू अपर्णा यादव ने भी उनकी भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अपराधी की कोई जाति नहीं होती। वह सिर्फ अपराधी ही होता है। इस मामले में अखिलेश यादव को चौतरफा घेरने की कोशिश हो रही है।

जहां तक प्रदेश के एक और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का सवाल है तो वे तो संघ की केरल बैठक के पहले ही योगी आदित्यनाथ के पक्ष में बयान दे चुके हैं। मिर्जापुर में एक आयोजित एक कार्यक्रम में केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि डबल इंजन की सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है। देश में न तो नरेंद्र मोदी जैसा कोई कोई प्रधानमंत्री हुआ और न ही योगी आदित्यनाथ जैसा यूपी में कोई मुख्यमंत्री हुआ। केशव प्रसाद मौर्य का यह बयान बहुत चर्चा में रहा। अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने इस पर खूब चुटकी भी ली। उस समय जब केशव प्रसाद मौर्य ने यह बयान दिया था तो लोग अचंभित थे। इस बाबत सूत्रों का कहना है कि संघ ने पहले ही इस बाबत भाजपा हाईकमान को कह दिया था कि केशव मौर्य को नकारात्मक बयान देने से रोका जाए। इसी के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के सुर बदल गए। संघ की बैठक में तो योगी की सुपरमेसी पर मूहर ही लग गई।

कुल मिलाकर यूपी भाजपा का पावर गेम फिलहाल समाप्त है। और सबका ध्यान अक्टूबर में संभावित दस विधानसभा सीटों के उपचुनावों पर लगा हुआ है। और इसी रणनीति के तहत भाजपा सरकार के मंत्रियों और नेताओं के हमले अखिलेश यादव पर लगातार जारी हैं। ताकि हमलों का जवाब देने में उन्हें बिजी रखा जा सके। और उन पर मानसिक दबाव बना कर रखा जा सके। कुल मिलाकर यूपी भाजपा में शांति है, एकता है और ऊर्जा भी है।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक