लखनऊ। गंभीर बीमारियों और असहनीय पीड़ा से मुक्ति दिलाकर मरीजों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने वाले चिकित्सकों को प्राचीन काल से ही भगवान का दर्जा प्राप्त रहा है, लेकिन बदली परिस्थितियों में इस भरोसे की दीवार में दरार नजर आने लगी है। श्रद्धा, विश्वास और भरोसे को कायम रखने के लिए जहाँ चिकित्सकों की नि:स्वार्थ सेवा में कमी नजर आने लगी है वहीँ मरीजों और उनके परिजनों में भी पहले जैसा धैर्य नजर नहीं आता है।
डॉ सूर्यकांत ने इस संबंध में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को पत्र लिखकर यह मांग की है कि डॉक्टर्स डे पर विभिन्न निजी मंच तो चिकित्सकों को सम्मानित करने को आगे आते हैं किंतु प्रदेश सरकार के स्तर पर किसी आयोजन का निर्देश नहीं दिया जाता है। इसलिए इस दिवस पर सरकारी आयोजनों और कार्यक्रमों के आयोजन के बारे में विचार करने की आवश्यकता है।
डाक्टर्स डे का जानें इतिहास : महान भारतीय चिकित्सक डा. बी.सी. रॉय के जन्म एवं निर्वाण दिवस (1 जुलाई) को ”चिकित्सक दिवस“ के रूप में मनाया जाता है। वह एक प्रख्यात चिकित्सक, स्वतंत्रता सेनानी, सफल राजनीतिज्ञ तथा समाजसेवी के रूप में याद किये जाते हैं। वह मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया (एम.सी.आई.) के अध्यक्ष भी रहे तथा राजनीतिज्ञ के रूप में कलकत्ता के मेयर, विधायक व पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री (1948 से 1962) भी रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए भी प्रतिदिन निःशुल्क रोगी भी देखते थे। उन्हें 4 फरवरी 1961 को भारत रत्न की उपाधि प्रदान की गयी।