देश के समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है कि अडानी एशिया के दूसरे और अम्बानी एशिया के प्रथम उद्योगपति बन गए हैं। यह देश के लिए गौरव की बात है। इस जोड़ी की सफलता को देखकर गुजरात के दो अन्य जोड़ियों के असाधारण प्रतिभा का उल्लेख करना भी जरुरी है।
देश में गुजरात असाधारण प्रतिभा का खान है लेकिन यह प्रतिभा मुखर तभी होती है जब गुजराती जोड़ीदार होते है। अकेले गुजराती में प्रतिभा होती तो है लेकिन जोड़ीदारों की तुलना में यह कम होती है। देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले वाले महात्मा गाँधी एवं सरदार बल्लभ भाई पटेल दोनों गुजराती थे और आज़ादी की लड़ाई में दोनों ने अग्रणीय भूमिका निभाई। आज़ादी के बाद देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने में सरदार बल्लभ भाई पटेल की अहम भूमिका रही। इन दोनों जोड़ीदार गुजरातियों की प्रतिभा असाधारण थी लेकिन कार्यशैली अलग अलग थी। महात्मा गाँधी जहाँ सत्य और अहिंसा का रास्ता अपनाते हुए आगे बढे, उनके बारे में यह कहा जाता है-
दे दी हमें आज़ादी बिना खडग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
आंधी में भी जलती रही गांधी तेरी मशाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
यह गाँधी की खूबसूरती थी जो दो लाइनों में व्यक्त की गयी है। निहत्थे गांधी अपने आत्मबल और प्रतिभा तथा ईमानदारी के साथ अंग्रेजों पर भारी पड़े। आज जब तकनीकी युग है तब भी नेता या हम अपने सही संदेशों को आमजन तक नहीं पंहुचा पाते जबकि हर हाथ में मोबाइल, अखबार और संचार के तमाम माध्यम उपलब्ध है लेकिन कल्पना कीजिये कि महात्मा गाँधी की सत्य, आत्मविश्वास और ईमानदारी से देशहित में की जा रही लड़ाई कितनी मजबूत थी कि गाँधी के आवाहन पर ढाका, इस्लामाबाद, कराची, दिल्ली, बम्बई में लाखों लाखों की संख्या में लोग कैसे पहुंचते थे, यह आज भी सोचने का विषय है। गाँधी जी जिस आजादी की लड़ाई को लड़ रहे थे उसमे भारत, पकिस्तान और बांग्लादेश तीनों शामिल थे। यह गाँधी की प्रतिभा और ईश्वरीय शक्ति की ताकत थी कि सत्यवचन के वाइब्रेशन- टेलीपैथी हवा में इस तरीके से गूंजती थी कि जो वह सोचते थे वह देश के हर वर्ग, हर सम्प्रदाय को वाइब्रेशन- टेलीपैथी के माध्यम से एहसास हो जाता था और वह गाँधी के साथ मैदान में आ जाते थे। गाँधी के बाद दूसरी सबसे बड़ी गुजराती शख्सियत आजाद भारत के सबसे पहले गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल थे जिन्होंने अपने दृढ़ इच्छा शक्ति से 500 छोटी-बड़ी रियासतों को जोड़कर एक मजबूत भारत का निर्माण किया। दोनों में दृढ़ इच्छा शक्ति, ईमानदारी और राष्ट्रप्रेम एक सामान था और इसी ताकत से इस जोड़ी ने देश की आजादी और अखंड भारत का निर्माण किया।
व्यावसायिक जोड़ी के बाद तीसरी राजनीतिक जोड़ी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की है। इस जोड़ी ने भी आज़ाद भारत में सियासत की उचाईयों का एक नया मॉडल कायम किया है। दो सदस्यों वाली भाजपा को मोदी के नेतृत्व और अमित शाह के मैनजमेंट ने गुजारती प्रतिभा से 303 की संख्या पंहुचा दी। आज देश में मोदी और अमित शाह ही देश की सबसे ताकतवर और लोकप्रिय नेता के रूप में है। केन्द्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार आज़ादी के बाद पहली बार गुजराती जोड़ी ने ही बनाई है। इस राजनीतिक जोड़ी ने भी देश में सियासत का नया मॉडल दिया है। जिसे लोग, पक्ष और विपक्ष अपने अपने चश्मे से देख रहे है। समर्थक देश को बनाने वाली जोड़ी मानते है तो विरोधी देश को बर्बाद करने वाली जोड़ी कहते हैं। खैर, आज़ादी के पहले और आज़ादी के बाद इन तीन अलग-अलग गुजराती जोड़ियों ने असाधारण प्रतिभा का परिचय दिया है लेकिन यही पर यह माना जा रहा है कि भाजपा को आगे लाने में गुजराती लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी बाजपेयी की जोड़ी ने भी देश को आगे बढाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है लेकिन चुकि लालकृष्ण आडवाणी गुजराती थे और अलट बिहारी बाजपेयी उत्तर प्रदेश से जुड़े थे इसीलिए लालकृष्ण आडवाणी की गुजराती जोड़ी नहीं बन पाई और वह भाजपा के एजेंडे के आधार पर बहुमत का आकड़ा लेकर प्रधानमंत्री नहीं बन सके।
हम यह सकते है कि गुजरातियों की प्रतिभा असाधारण है लेकिन वह सफलता के शीर्ष पर तभी पहुंचते है जब जोड़ीदार होते हैं।
राजेन्द्र द्विवेदी, वरिष्ठ पत्रकार