हेलीकाप्टर का जनक है पतंगा

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# शिवचरण चौहान

पतंगा सदियों पुराना कीट है। यह धरती पर मनुष्य का जीवन शुरू होने से पहले ही आ गया था। यो तो पतंगे की दुनिया भर में डेढ़ लाख से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं किंतु आज इस पतंगे की चर्चा कर रहे हैं उसे देख कर ही। उस देख कर ही पतंगे और हेलीकॉप्टर बने हैं। वैसे तो दुनिया में पाए जाने वाले पतंगे रात्रि चर होते हैं पर हेलीकॉप्टर पतंगा दिन में निकलता है और शाम होते ही किसी पेड़ किसी पौधे किसी फूल पर बैठ कर सो जाता है।

कहते हैं दुनिया में पतंगों का आविष्कार पतंगा कीड़ा को उड़ता हुआ देखकर हुआ था। पतले पंखों वाले पतंगे आसमान में देर तक उड़ते रहते हैं। हेलीकॉप्टर पतंगा भारत में बहुतायत से पाया जाता है। इसका मत्था मोटा और दुम बहुत लंबी होती है। इसके 4 जोड़ी बहुत पतले पतले पंख होते हैं। किसी किसी पतंगे के 3 जोड़ी पंख होते हैं। यह पतंगा जितनी तेजी से आगे उड़ है उस गति को रोककर हवा में स्थित होकर एक ही जगह उड़ सकता है।

वैज्ञानिकों ने इसके उड़ने की गति पंख और आगे के भाग को मोटा देख कर ही हेलीकॉप्टर की कल्पना की। और फिर पतंगे की आकार प्रकार का हेलीकॉप्टर बना लिया गया जो हवा में एक जगह स्थिर होकर उड़ सकता है। नीचे एक ही जगह पर स्थित होकर उतर सकता है। इसके पंखों में हवा दबाव नहीं डाल पाती है। पंख हल्के होने के कारण इसे तेज उड़ने और हवा में स्थिर होने की शक्ति मिलती है। पतंगा दिन में सूरज की रोशनी देखकर अपने दिशा तय करता है।

बरसात का सूचक है पतंगा: तेज आंधी आने या घनघोर बादल आने पर पतंगा सबसे पहले आगे उड़ कर आ जाता है। हजारों लाखों पतंगे आसमान पर आकर बरसात होने या आंधी आने की सूचना देते हैं। भारत में इसके कई किसमें पाई जाती हैं। गांव और शहरों में इसे बच्चे हेलीकॉप्टर पतंगा कहते हैं। इसी पतंगे को देखकर किसी ने आसमान में पतंग उड़ाने की कल्पना की होगी।

वैसे तो दुनिया भर में डेढ़ लाख प्रजातियां पाई जाती हैं। और हम रात में बल्ब एलईडी दिए और मोमबत्ती की रोशनी के आसपास पतंगे को उड़ते देखते हैं। हमारे कवियों और शायरों ने पतंगे को परवाना और रोशनी को शमा कहा है। शमा को देखकर पतंगा उसके प्यार में आकर जलकर मर जाता है। कटी पतंग सहित अनेक नई और पुरानी फिल्मों में शमा और परवाना के गीत गाए गए हैं। कहते हैं पतंगा रोशनी से इतना प्यार करता है कि उसमें जलकर मर जाता है। एक दोहा है…

प्रेम परीक्षा में खरा कंचन हुआ पतंग!
दीपशिखा बाहों रही जले अंग प्रत्यंग ।।

शमा कहे परवाना से… आज हजारों गीत दोहे शेर पतंगे और शमा के बारे में लिखे गए हैं। कहां जाता है कि मनुष्यों को भी पतंगे जैसा प्यार करना चाहिए। वैज्ञानिकों का मानना है कि पतंगा एक कीट है। सदियों से पतंगे रात में चांद तारों को देख कर अपनी दिशा तय करते रहे हैं। आज जब रोशनी करतीं बल्ब एलईडी मोमबत्ती दीपक आदि आ गए हैं तो पतंगा मतिभ्रम का शिकार हो जाता है। वह नहीं समझ पाता की कृतिम रोशनी चांद की नहीं है। इसलिए पतंगा रोशनी के आसपास गोल गोल घूम कर बलब या एलईडी से जल कर मर जाता है।

बरसात में चीटियों की भी पंख निकल आते हैं और वह भी पतंगा बन कर जल कर मर जाता है। हर साल जतिंगा में जाकर सैकड़ों पक्षी आत्महत्या कर लेते हैं इसका ठोस कारण वैज्ञानिक नहीं बता सके। इसी तरह पतंगा रोशनी में जलकर क्यों मर जाता है वैज्ञानिक खोज कर रहे हैं। अभी ठीक-ठीक यह पता नहीं चल पाया है की पतंगा रोशनी की तरफ क्यों आकर्षित होता है। तितलियां भी पतंगा संवर्ग में ही आती है। तितलियों के पंख सुंदर होते हैं इसलिए सब तितलियों से प्यार करते हैं।

# पतंगे की करीब डेढ़ लाख जातियां / प्रजातियां विश्व भर में पाई जाती है।
# तितली और ततैया भी पतंगे के ही कुल के है।
# पतंगे की बनावट देख कर ही हेलीकाप्टर बना।