तोता: नकल करने वाला पक्षी

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तोता झुंड में रहने वाला पंछी है। बसंत ऋतु में इसका समागम होता है। फरवरी से लेकर अप्रैल तक इसका प्रजनन काल है। नर तोता हवा में कलाबाजी खाकर मीठे स्वर में बोलकर मादा को रिझाता है। मादा तोता किसी ऊंचे सेमल, आम पीपल गूलर पाकड़ महुआ जामुन आदि के पुराने पेड़ों में कोटर में या पेड़ के तने में चोंच से गहरा छेद बनाकर अपना घोंसला बनाती है। घोसले में मादा चार से लेकर छह तक अंडे देती है। कुछ तोती दस अंडे तक देती हैं। अंडों से निकलने के बाद बच्चों के पंख निकलते हैं। उड़ने लायक होने पर बच्चे झुंड में शामिल हो जाते हैं।

महानगरों कस्बों और गांवों में तोते झुंड बनाकर आसमान में उड़ते हैं और बहुत शोर करते हैं। झुंड बनाकर ही खेतों में खलिहान में बाग में और किसानों की फसलों के दाने चुगते हैं। किसान तोतों को अपना दुश्मन पंछी मानता है। मटर और चने की फलियां भी यह कुतरकर खा जाते हैं। पिंजरे में डालकर पालने पर तोता जल्दी मर जाता है जबकि जंगल में यह काफी उम्र जीता है।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में एक तोता 82 साल तक जिंदा रहा। कच्चे आम को कुतर कुतर कर खाना तोता को बहुत अच्छा लगता है। आदमी की आवाज को तोता कान लगाकर बहुत ध्यान से सुनता है। पालतू तोता ही आदमी की आवाज की नकल करता है और सीताराम राम राम राधा कृष्ण या तमाम तरह की बोलियां बोल लेता है। तोता हिमालय की 4000 फीट की ऊंचाई से लेकर पूरे उत्तर और दक्षिण भारत के मैदानों तक पाया जाता है। तोते की एक विशेषता है की लगातार कई सालों तक झुंड के झुंड एक ही पेड़ पर रात गुजारते हैं। एक ही बिजली के तार पर हजारों तोते बैठ कर सोते हैं। इन्हें दिशा का भी बहुत अच्छा ज्ञान होता है।

इस समय तोते की सारी दुनिया में 160 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें अफ्रीका का लाल हमें गर्दन वाला लाल पंख वाला काकातुआ तोता भी शामिल है जो आकार में बहुत बड़ा होता है। आदमी की आवाज की नकल कुछ जाति के तोते ही कर पाते हैं। तोता भारतीय उपमहाद्वीप का एक सुपरिचित पक्षी है। गहरे हरे रंग लाल चोंच और टें टे की आवाज के कारण तोता आसानी से पहचान में आता है।

तोता झुंड में रहने वाला पक्षी है। शहरो और गांव कस्बों, बाग बगीचा पार्कों को जंगलों और खेत खलिहान में तोतों की के झुंड के झुंड दाना चुगते देखे जा सकते हैं। तोता आम अमरूद टमाटर हरी मिर्च अंगूर गेहूं बाजरा ज्वार के दानें आदि खाता है। इसकी जीभ तंत्रिका को इतना ज्ञान नहीं होता कि वह किसी चीज का स्वाद जान सके। इसलिए तोता हरी कड़वी मिर्च पैर से पकड़ कर आसानी से कुतर डालता है। किसी फल दाना या वस्तु को अपने पैर से पकड़ कर कुतर कुतर कर खाना तोते के अलावा कोई और पक्षी नहीं कर पाता।

अपनी टेढ़ी लाल चोंच और चमकीले हरे रंग के पंख गर्दन में कंठ का निशान भारतीय तोते की पहचान है। वैसे तो नरमादा समान ही होते हैं। कुछ मादा तोती की चोंच पीली भी होती है। नर तोता बहुत उधमी शोर करने वाला और तेज उड़ने वाला पंछी है। मादा तोता यानी तोती तोते की अपेक्षा कर शांत स्वभाव की होती है।

तोते का सुंदर होना और आदमी की आवाज की नकल कर लेना ही उसका दुर्भाग्य है। अपनी सुंदरता के ही कारण तोता पकड़ा जाता है और पिंजड़े में डाला जाता है। चिड़िया घरों में दुनिया भर के तोते रखे गए हैं। सबसे छोटा 3 इंच का और सबसे बड़ा तोता 3 फीट का पाया गया है। लंबे चौड़े रंग बिरंगे तोते दक्षिण अफ्रीका अमेरिका गुयाना आज में पाए जाते हैं। तोते की उम्र लंबी होती है। कुछ पालतू तोते 80 साल की उम्र तक जीवित पाए गए हैं। वैसे 20 वर्ष तोते के सामान उम्र आंकी गई है।

तोता बहुत चालाक पक्षी है। संस्कृत हिंदी और तमाम भाषाओं में शुक्र सारिका तोता मैना के अनेक किस्से कहावतें गीत लोकगीत भरे पड़े हैं। प्रेमचंद की एक कहानी में एक तोता पिंजरे से उड़ जाता है तब उसका मालिक उसके पीछे पीछे दौड़ता घूमता है। सत्य गुरुदत्त शिवदत्त दाता। राम के चरण मन लागा। पर तोता पकड़ में नहीं आता। और फिर एक दिन तोता अपने आप लौट आता है।

तोता अपने दुश्मन को चोंच भी मारता है और पंजा भी मारता है। बिल्ली तोते की सबसे बड़ी दुश्मन है। सांप नेवला उल्लू बाज तोते के अंडे खा जाते हैं। अपनी अधिक सुंदरता के कारण ही तोते को अपनी आजादी गंवानी पड़ती है। तोते को पकड़कर सभी पिंजड़े में डालना चाहते हैं पर कौवे को कोई नहीं पालता। भारत के अलावा श्रीलंका अफगानिस्तान पाकिस्तान बर्मा यानी म्यामार, अंडमान निकोबार दीप सहित अनेक देशों में तोते पाए जाते हैं। वैसे तो तोते बहुत कम जमीन पर उतरते हैं किंतु जमीन पर दाना देखकर यह झुंड के झुंड नीचे उतर आते हैं और बहेलिया के जाल में फंस जाते हैं।

भारत में तोता पकड़ना पालना उसे पिंजरे में बंद करना। तोते को बेचना अपराध की श्रेणी में आता है और 3 महीने की सजा का प्रावधान है। किसानों द्वारा खेतों में कीटनाशकों का अधिक प्रयोग करने से तोतो की जाति को संकट उत्पन्न हो गया है। तोते के बच्चे में जब कंठ फूट जाता है तब वह लंबी उम्र जीता है। तोते को पालना देखना शुभ माना जाता है। पालतू तोते को कई बीमारियां हो जाती हैं। इसलिए तोते के पिंजड़े को साफ सफाई से रखना चाहिए और तोते का ख्याल रखना चाहिए। दक्षिण अफ्रीका में पाए जाने वाले तोते रंग-बिरंगे चटक रंग वाले और बड़े आकार के होते हैं पर वह मनुष्य की आवाज की नकल नहीं कर पाते।

# शिवचरण चौहान