नेवला : खतरनाक पर खूबसूरत भी

0
6949

दिखने में भोला-भाला,सीधा-साधा पर बेहद खतरनाक। जी हां, कोबरा व नेवला आमने-सामने पड़ जाये तो नेवला के खतरनाक तेवर आसानी से दिख जायेंगे। कोबरा किसी तरह से बच निकलने की कोशिश में दिखेगा तो वहीं नेवला किसी भी हालत में उसे बच कर नहीं जाने देगा। चतुर-चपल-चालाक नेवला को देख कर कोई नहीं कह सकता कि यह इतना अधिक खतरनाक होगा कि सांपों में सबसे अधिक खतरनाक व जहरीले कोबरा से टक्कर लेता होगा लेकिन यह हकीकत है कि नेवला से कोबरा भी भय खाता है। नेवला आबादी व बस्ती से लेकर गुफाओं व घने जंगलों में मिल जायेगा।

नेवला खास तौर से भारत, नेपाल, श्रीलंका व दक्षिण अफ्रीका सहित दुनिया के तमाम देशों में पाया जाता है। इसे वन्य जीव-जन्तुओं की श्रेणी में गिना जाता है लेकिन खेत-खलिहान में भी नेवला की आवाजाही आसानी से देखी जा सकती है। मांसाहारी स्तनधारी जीव नेवला की दुनिया में करीब तेंतीस प्रजातियां पायी जाती हैं। सामान्यत: देखा जाये तो प्रकृति की व्यवस्थायें भी बड़ी अजीब हैं। कोबरा से पशु-पक्षी, जीव जन्तु यहां तक कि मनुष्य भी भय खाता है क्योंकि कोबरा के जहर (विष) से जीवित बच पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होता है। वहीं नेवला पर कोबरा के विष का कहीं कोई असर नहीं होता।

नेवला जहां एक ओर कोबरा व अन्य सांपों के लिए एक खतरनाक दुश्मन होता है वहीं इंसान के लिए कई बार शुभंकर भी साबित होता है। भारतीय इतिहास व परम्पराओं-मान्यताओं में नेवला को शुभंकर माना गया है। मान्यतायें हैं कि सुबह सो कर उठने के बाद नेवला दिख जाये या नेवला के दर्शन हो जायें तो शुभ संकेत हैं। वहीं दिन में अन्य किसी समय नेवला का दिखना शुभ नहीं माना जाता। हालांकि आधुनिक युग में इसे अंधविश्वास माना जाता है।

नेवला गिलहरी की भांति होता है लेकिन आकार-शरीर गिलहरी की तुलना में काफी बड़ा होता है। इसकी त्वचा का रंग बहुतायत में गुलाबी व गेहुंआ होता है तो वहीं नेवला अन्य काया कलर में भी पाये जाते हैं। वन्य जीव-जन्तुओं में नेवला की अलग ही खूबसूरती दिखती है। कई बार नेवला की यह खूबसूरती ही उसकी जान की दुश्मन बन जाती है। नेवला के बालों का रंग सुनहरा होता है। बालों का यह सुनहरापन ही उसे खूबसूरत बनाता है। उसके बाल अति मुलायम होते है। उसके बालों का उपयोग पेंटिंग ब्रश व सेविंग ब्रश में अधिकतर किया जाता है।

खूबसूरत बालों के कारण ही उसका शिकार भी होता है। वन्य जीव संरक्षण की सोच समाज में आने-होने से इस खूबसूरत वन्य जीव-जन्तु को बचाया जा सकता है क्योंकि किसी भी जीव जन्तु की हत्या अपने सुख-संसाधन व सुविधाओं के लिए किया जाना कतई उचित नहीं होगा। अन्यथा इस जीव प्रजाति पर एक दिन अस्तित्व का संकट आ जायेगा। जीवों पर दया करो, जीवों को संरक्षण दो यह सोच होनी चाहिए।