भालू भारी भरकम शरीर पर तेज दौड़ाक

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भालू का भारी-भरकम शरीर देख कर उसकी क्षमताओं को कम नहीं आंकना चाहिए क्योंकि भालू भले ही भारी भरकम शरीर वाला वन्य जीव हो लेकिन उसकी क्षमतायें गजब प्रदर्शन वाली होती हैं। बात चाहे चातुर्य की हो  या शक्ति की हो, उसकी क्षमतायें वन्य जीवों में अलग ही दिखती हैं। पेड़ पर उल्टा चढ़ना हो या सीधा चढ़ना हो, भालू के लिए कहीं कुछ भी मुश्किल नहीं होता। स्तनधारी जीव श्रंखला का यह वन्य जीव खास तौर से पूरी दुनिया में पाया जाता है। भालू की मुख्यत: आठ प्रजातियां होती हैं।
भालू सम्पूर्ण  एशिया, यूरोप, उत्तर अमेरिका, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका सहित पूरी  दुनिया में पाया जाता है। कहीं इनकी संख्या कम है तो कहीं बहुतायत में पाये जाते हैं। भालू का शरीर भारी भरकम तो होता ही है उसके पूरे शरीर में काले घने बाल होते हैं। भालू खास तौर से शाकाहारी होते हैं लेकिन कुछ प्रजाति के भालू मांस-मछली से भी परहेज नहीं करते। शाकाहारी भालू के खानपान में सामान्य पेड़ पौधों की पत्तियां, बांस की पत्तियां व टहनियां होती हैं। भालू को अकेलापन भाता है लिहाजा भालू कभी झुण्ड में नहीं दिखते।
भालू कभी मिट्टी में गड्ढ़ा खोद कर खोह को अपना आशियाना बना लेते हैं तो कभी गुफाओं को अपना आरामगाह बनाते हैं। भालू खास तौर से दिन में ही निकलते हैं लेकिन भूख मिटाने या भोजन की तलाश में कई बार रात में भी निकलते हैं। इनमें सूघने की शक्ति व बुद्धिमता गजब की होती है। कोई शिकारी भालू को अपना शिकार बनाने के लिए कोई जाल बिछाता है या चारा आदि डाल कर पकड़ना चाहता है तो भालू इसे आसानी से समझ  लेते हैं। लिहाजा भालू आसानी से शिकारी की गिरफ्त में नहीं आते। सर्दियों में भालू को सोना पसंद होता है। इसलिए सर्दियों में भालू गुफा या खोह से कम ही निकलते हैं। सर्दियों में भालू केवल भोजन की तलाश में ही गुफा या खोह से बाहर निकलते हैं।
भालू भारी भरकम शरीर होने के बावजूद तेज रफ्तार से दौड़ने में दक्ष होते हैं। करीब साठ से पैंसठ किलोमीटर रफ्तार से दौडना भालुओं के लिए आम बात होती है। हमले व शिकार से बचने के लिए भालू इससे भी कहीं अधिक तेज रफ्तार से दौड़ सकते हैं। पेड़ पर उल्टा चढ़ना हो या सीधा चढ़ना हो, भालू के लिए कोई मुश्किल काम नहीं होता। पानी में तैरने की क्षमता भी उनमें गजब होती है। खाल खुरदरी व दांतों से आयु का अनुमान लगाया जाता है।
विशेषज्ञों की मानें तो भालू की खाल में दो परत होती हैं। खाल की छोटी परत उसे गर्मी से बचाती है तो मोटी परत उसे पानी सेे बचाती है। जंगल में स्वच्छंद विचरण करने वाले भालुओं की आैसत आयु तीस वर्ष होती है तो बंदी बना कर रखे गये या पालतू भालुओं की आैसत आयु पैंतालिस से पचास वर्ष तक हो जाती है। भालू केवल वन्य जीव श्रंखला की ही शोभा नहीं होते बल्कि गांव-गिरांव में मदारी उनको नचा कर बच्चों का मनोरंजन भी करते हैं। अन्य वन्य जीवों की तरह भालुओं को भी सरंक्षण व सुरक्षा मिलनी चाहिए क्योंकि सुरक्षा व सरंक्षण न मिलने से इनके अस्तित्व को भी खतरा रहेगा। लिहाजा शासन-सत्ता व वन्य जीव प्रेमियों को इस दिशा में सार्थक प्रयास करना चाहिए जिससे भालुओं का अस्तित्व सुरक्षित व संरक्षित बना रहे।